नई दिल्ली: राउस एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी हिंसा मामले में आरोप तय करने का फैसला किया है।

यह मामला 1984 के नवंबर महीने के दौरान दिल्ली में सिखों के खिलाफ हुए दंगों से जुड़ा है, जिसमें सैकड़ों निर्दोष सिखों की हत्या कर दी गई थी और कईयों की संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया गया था। कोर्ट का यह फैसला इस मामले में कानूनी कार्रवाई के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।

कोर्ट के आदेश के अनुसार, जगदीश टाइटलर पर हिंसा को भड़काने, साजिश रचने और हत्या के आरोप लगाए गए हैं। अदालत ने माना है कि मामले में पर्याप्त सबूत हैं, जिनके आधार पर टाइटलर पर आरोप तय किए जा सकते हैं।

अदालत ने यह भी कहा कि जगदीश टाइटलर को अपनी भूमिका संबंधी गंभीर सवालों का सामना करना पड़ेगा, जैसे कि उन पर दंगों को भड़काने के आरोप हैं।

सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के परिवारों और सिख समुदाय के कई नेताओं ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि यह एक लंबे समय से लटका हुआ न्याय है जो अब पूरा होता दिख रहा है।

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दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरमीत सिंह कालका ने कहा, “यह फैसला सिख समुदाय की लंबी लड़ाई का नतीजा है और अब हमारी उम्मीद है कि न्याय की जीत होगी। यह पीड़ित परिवारों के लिए सच और न्याय की लड़ाई में एक नया मोड़ है।”

उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले के साथ सिख समुदाय में नई उम्मीद जागी है। कई सिख नेताओं ने यह भी कहा कि जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने का यह फैसला केवल एक शुरुआत है, और सज्जन कुमार व अन्य दोषियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

दूसरी ओर, जगदीश टाइटलर के वकीलों ने कोर्ट के इस फैसले को राजनीतिक प्रभावों से प्रेरित बताते हुए उच्च अदालत में अपील करने का इरादा जाहिर किया है।

उनका मानना है कि टाइटलर के खिलाफ लगे आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं और अदालत के इस फैसले का असल विचार करना जरूरी है।

इस मामले में अगले कुछ हफ्तों में और कार्रवाई की संभावना है, क्योंकि कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख तय कर दी है। सिख समुदाय के नेता न्याय की लड़ाई जारी रखने के लिए वचनबद्ध हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि यह मामला अंततः सत्य और न्याय के हित में सुलझेगा।