नई दिल्ली – भारत की सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के साथ इंटरव्यू करने वाले पत्रकारों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने यह निर्णय स्पष्ट किया कि पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से अपनी पेशेवर गतिविधियों को जारी रखने का अधिकार है और उन्हें किसी भी प्रकार की कानूनी या प्रशासनिक कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।
इस फैसले के बाद, लॉरेंस बिश्नोई के साथ किए गए इंटरव्यू की वैधता पर कोई सवाल नहीं उठेगा। बिश्नोई के इंटरव्यू ने समाज में कई चर्चाओं और विवादों को जन्म दिया था, जिससे यह सवाल उठने लगा था कि क्या इस प्रकार के इंटरव्यू पत्रकारों के कामकाज और स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर अपना स्पष्ट मत व्यक्त करते हुए कहा कि पत्रकारों का यह मौलिक अधिकार है कि वे विभिन्न मुद्दों पर जानकारी इकट्ठा करने और उसे सार्वजनिक करने के लिए इंटरव्यू ले सकें। कोर्ट ने यह भी बताया कि पत्रकारों की स्वतंत्रता और पेशेवर जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए इस मामले में किसी भी तरह की दखलंदाजी या रोक-टोक उचित नहीं होगी।
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कोर्ट के इस फैसले से पत्रकारों को उनकी पेशेवर गतिविधियों में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा और स्वतंत्रता प्राप्त हुई है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि पत्रकारिता के क्षेत्र में स्वतंत्रता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इस निर्णय ने न केवल पत्रकारों को बल्कि समाज को भी यह संदेश दिया है कि स्वतंत्र प्रेस की भूमिका और उसके अधिकारों का सम्मान किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पत्रकारों के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है, जो पत्रकारिता की स्वतंत्रता की रक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि पत्रकार अपने काम को बिना किसी डर या दबाव के कर सकें। इस निर्णय के बाद, पत्रकारिता में पारदर्शिता और स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया गया है।